Friday, March 30, 2007

अब और नही .

आखों मे तेरा चेहरा लीये
आसमा देखता हूँ,
सोचता हूँ की तू कहीँ और नहीं
पास की बादल मे हो,
उसकी काली-काली रंगे,
तेरे बालो का आभास देता है,
उसके पीछे सूरज की कीरने,
तेरे लाल ओठों को दीखाता,
सोचता हूँ आँखें बंद कर लूं,
और तू इस मे समां जा, पर
थोड़ी ही देर मे बारीस होने लगती है ......
क्या करूं तेरी याद में,
मेरा dil रोते रहता है.

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