अजीब होती है प्यार की
दास्तान
उसके साथ नीभाये कुछ
लम्हें
कुछ सोचने को मजबूर कर देती है
आंखें बंद हो जाती है और सीर्फ बस
सीर्फ उसका ही चेहरा सामने दीखता है
ऐसा लगता है जैसे वो अपने तरफ
खीच रही है ,उसकी आदाये मुझे उसमे डूबने को
मजबूर कीये जा रही है
मीलने की प्यास बढती ही जा रही है
DIL तो कर्ता है कि सामने जाकर
कह दु उस शोख अदा वाली चंचल हसीना को
जो मुझे इतना प्यार करती है
क्या मुझे उसे थोडा भी
प्यार करने का हक नही...............
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1 comment:
सुन्दर कविता है
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